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Lekhny Story -01-Feb-2024

मेरा नया बचपन

जिम्मेदारियों का बोझा, मेरा बचपन लूटे जाता
मेरा सुहाना बचपन मुझे, रह रहकर याद आता
खींचे अपनी ही ओर, अनेक बंधनों की डोरियां
किस और मैं जाऊँ, ये मुझको समझ ना आता
दुनियादारी की गठरी लिये, घर लौटता हूं जब
गली के मोड़ पर खड़ा, वो बचपन मुझे बुलाता
क्या कहेंगे लोग, अब तक भी मुझमें चंचलता
यही बातें सोचकर मेरा, मन बड़ा ही सकुचाता
जिम्मेदारी की बेड़ियों में, जकड़ गया मैं इतना
अपने ही बालपन की मैं, हर रोज बलि चढ़ाता
याद भी न आता अब, किस दिन मैं मुस्कुराया
मेरी नजरों के सामने, मेरा ही बचपन मुरझाता
मन पर चढ़े बोझ को, कैसे फेंकू मैं उतारकर
जिम्मेदारी के बोझ तले, खुद ही दबता जाता
बचपन और बड़प्पन दोनो, सन्तुलित हो जाये
केवल वही सहज मार्ग, नजर मुझे अब आता
खुलकर जीयो जीवन, कैदी बनकर न जीना
केवल यही बात मैं, रोज स्वयं को समझाता
मूक मूरत सा व्यक्तित्व, उदासी ही फैलायेगा
इसीलिये हर हाल में, मन्द मन्द मैं मुस्काता
जीने का ढ़ंग बदलकर, हुआ खुद से आजाद
मेरे अंदाज में अब, कुछ बचपन नजर आता
होता यही एहसास मुझे, जीवन फिर से पाया
मेरा नवीन बचपन अब, खुलकर हंसता गाता

ॐ शांति
मुकेश कुमार मोदी,बीकानेर,
राजस्थान मोबाइल नम्बर 9460641062

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3 Comments

Mohammed urooj khan

03-Feb-2024 12:26 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

02-Feb-2024 04:12 PM

👏👌

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Varsha_Upadhyay

02-Feb-2024 12:18 PM

Nice

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